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भगवान शिव ब्रह्मांड की त्रिलोकी शक्तियों में एक हैं।

भगवान शिव ब्रह्मांड की त्रिलोकी शक्तियों में एक हैं। साक्षात शक्ति का स्वरुप हैं। भगवान शिव को त्रिभुवन की व्यवस्थाओं में संहार का दायित्व दिया गया है। अतः भगवान शिव दुष्टों का विनाश करने, अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित करने, असत्य पर सत्य की विजय स्थापित करने दुष्ट शक्तियों पर दिव्य शक्तियों का प्रभाव स्थापित करने हेतु संहार करते हैं। तथा उस शक्ति का ह्रास करते हैं,,,,हरण करते हैं जो सत्यता को अप्रकाशित करती है। यानी कुल मिलाकर जो समाज के समस्त अमंगल को धारण कर मंगल प्रदान करे वह सत्ता “”शिव“” है।

यदि हम वैज्ञानिक महत्व की बात करें, तो इस रात पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य के भीतर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इसलिए शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने हेतु व्यक्ति को ऊर्जा कुंज के साथ सीधे बैठना चाहिए जिससे रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और व्यक्ति एक सुपर नेचुरल पावर का एहसास करता है। शिवजी के नृत्य के दो रूप हैं। एक है लास्य, जिसे नृत्य का कोमल रूप कहा जाता है। दूसरा तांडव है, जो विनाश को दर्शाता है। भगवान शिव के नृत्य की अवस्थाएं सृजन और विनाश, दोनों को समझाती हैं। शिव का तांडव नृत्य ब्रह्मांड में हो रहे मूल कणों के उतार-चढ़ाव की क्रियाओं का प्रतीक है।

यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्‍यूक्‍लियर रिसर्च यानी सर्न लेबोरेटरी के बाहर नटराज की मूर्ति रखी हुई है। नटराज की मूर्ति और ब्रह्मांडीय नृत्य के बारे में अमेरिकन भौतिक वैज्ञानिक फ्रिटजॉफ कैपरा (मेन कर्रेंटस ऑफ़ मॉडर्न थॉट किताब में प्रकाशित 1972) ने बताया है कि वैज्ञानिक उन्‍नत तकनीकों का इस्‍तेमाल करते हुए कॉस्‍मिक डांस का प्रारूप तैयार कर रहे हैं। कॉस्मिक डांस यानी भगवान शिव का तांडव नृत्य, जो विनाश और सृजन दोनों का प्रतीक है।
तांडव करते हुए नटराज के पीछे बना चक्र ब्रह्मांड का प्रतीक है। उनके दाएं हाथ का डमरू नए परमाणु की उत्पत्ति और बाएं हाथ में अग्नि पुराने परमाणुओं के विनाश की ओर संकेत देती है। इससे ये समझा जा सकता है कि अभय मुद्रा में भगवान का दूसरा दायां हाथ हमारी सुरक्षा, जबकि वरद मुद्रा में उठा दूसरा बायां हाथ हमारी जरूरतों की पूर्ति सुनिश्चित करता है। नासा के प्रयोग का नाम भी भगवान शिव के नाम पर. नासा के इस प्रोजेक्ट का नाम है- The SHIVA Project. यानी Spaceflight Holography in Virtual Apparatus. यह पर्यावरण और अंतरिक्ष में मौजूद बेहद सूक्ष्म कणों के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के अध्ययन के लिए बनाया गया था.नासा ने एक स्टडी में बताया था कि पृथ्वी पर पहला डीएनए एक शिवलिंग से आया था.

यह कुछ उदाहरण मात्र है जो दर्शाता है कि शिव ही सत्य है. नासा की ओर से पिछले दशक में कई ऐसी तस्वीर अंतरिक्ष में कैद की गई है, जो सीधे तौर पर भगवान शिव से जुड़ता है. भारत समेत विश्व के कई देशों में मौजूद नदियों-पहाड़ों में भगवान शिव की मौजूदगी प्रत्यक्ष रूप से नजर आती है. कैलाश मानसरोवर आज भी वैज्ञानिकों के लिए बड़ा विषय है. भारत में मौजूद तमाम ज्योतिर्लिंग दर्शाता है कि उसके अंदर उर्जा का भरमार स्त्रोत है.

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
Lord shiva
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