सोमवार को धनबाद लोकसभा सीट के लिए बोकारो व चंदनकियारी में हुई रायशुमारी
2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है. सभी राजनीतिक दल तैयारी को अंतिम रूप देने में की जुगत में लगे हुए हैं. भाजपा मिशन 400 के तहत हर कदम फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. सोमवार को धनबाद लोकसभा में उम्मीदवार चयन को लेकर रायशुमारी हुई. लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी विधानसभा में रायशुमारी की गयी. इसी क्रम में बोकारो व चंदनकियारी विस में भी रायशुमारी की गयी. रायशुमारी में मौजूदा सांसद पशुपतिनाथ सिंह का नाम ही सबसे आगे रहा.
सभी विधानसभा क्षेत्र के अनुसार रायशुमारी की गयी. बोकारो विधानसभा में बिरंची नारायण का भी इस दौरान सामने आया. इसके अलावा मौजूदा सांसद पशुपतिनाथ सिंह का नाम भी प्रमुखता से आया. वहीं चंदनकियारी विधानसभा में अमर कुमार बाउरी के नाम पर भी कई पदाधिकारियों ने उम्मीद जतायी. हालांकि यहां भी पशुपतिनाथ सिंह का नाम प्रमुखता से ही लिया गया. रायशुमारी के लिए संजीव विजयवर्गीय व बालमुकुंद सहाय ने बोकारो परिसदन में रायशुमारी की.
जानकारों की माने तो उम्र मौजूदा सांसद पशुपतिनाथ सिंह के सामने रोढ़ा बन रहा है, लेकिन पशुपतिनाथ सिंह के सामने लोकसभा स्तर पर कोई एक नाम वृहत रूप से सामने नहीं आ पाया. हर विधानसभा क्षेत्र में वहां के मौजूदा विधायक के नाम सामने तो जरूर आया, लेकिन पुरे लोकसभा को देखा जाये तो पशुपतिनाथ सिंह ही आगे रहे हैं. श्री सिंह के अलावा धनबाद विधायक राज सिन्हा, धनबाद ननि के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल, गणेश मिश्र, सरोज सिंह, रागिनी सिंह का नाम सामने आया.
प्रदेश प्रभारी, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, विधायक, सांसद, पूर्व विधायक पूर्व सांसद, मोरचा के प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष, निवर्तमान जिलाध्यक्ष, 2019 के विधान सभा प्रत्याशी, जिप अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष रायशुमारी में शामिल हुए. राजनीतिक जानकारों की माने तो रायशुमारी टिकट कंफर्मेशन में एक मजबूत कोण होता है. रायशुमारी में आये नाम को केंद्रीय पटल में रखा जाता है. केंद्रीय नेतृत्व इन नामों पर चर्चा करता है.
एक नजर
धनबाद संसदीय सीट भाजपा का मजबूत गढ़ है. एक ऐसा अभेद किला, जिसे लाख कोशिश के बाद भी विरोधी ध्वस्त नहीं कर पाते. रामजन्म भूमि के ज्वार के साथ धनबाद में भाजपा ने ऐसी पैठ बनायी कि इस क्षेत्र में कम्युनिस्ट के धाकड़ नेता स्व एके राय के सहारे संसद तक पहुंचा लाल झंडा भी उखड़ गया. 1984 के बाद जमीन से कांग्रेस ऐसे बेदखल हुई कि 20 वर्ष बाद 2004 (एक बार ही) में जीत पायी. मतलब साफ है कि धनबाद में जिसके हाथ कमल चुनाव चिह्न लगा, उसका दिल्ली पहुंचना तय माना जाता है.
वर्तमान सांसद पीएन सिंह लगातार तीसरी बार सांसद बने, तो उनसे पहले प्रो रीता वर्मा लगातार चार बार सांसद रहीं. वर्तमान सांसद पीएन सिंह के रास्ते इस बार विरोधी नहीं, बल्कि उनकी उम्र ही रोड़ा बन रहा है. पीएन सिंह के टिकट के कंफर्मेशन या टिकट काटे जाने के चर्चा के बीच भाजपा में कई दावेदारों हो गये हैं. कइयों को अपने-अपने समीकरण पर भरोसा है. धनबाद में जातीय समीकरण से लेकर बाहरी-भीतरी का फॉर्मूला है.
ये हैं रेस में शामिल
धनबाद लोकसभा के लिए भाजपा में कई नेता एक साथ दावेदारी कर रहे हैं. 2019 की तरह इस बार भी चतरा सांसद सुनील सिंह का नाम चर्चा में है. पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल का नाम भी मजबूत दावेदार के रूप में लिया जा रहा है.धनबाद विधायक राज सिन्हा की चाहत भी किसी से छिपी नहीं है. बोकारो विधायक बिरंची नारायण का नाम भी चर्चा में है. चंदनकियारी विधायक अमर बाउरी का अपना समीकरण है. जातीय समीकरण के अनुसार भाजपा नेत्री सह पूर्व विधायक संजीव सिंह सिंह की पत्नी रागिनी सिंह भी संसदीय चुनाव में भाग्य आजमाना चाहतीं हैं.
